एक दिन शाम को मैं अपने मित्रों के साथ शहर में अपने मन पसंद गली में जा रहा था सामने से दो व्यक्ति आ रहे थे जिनमें एक औरत और एक लड़का था मां के हाथ में लड़के का हाथ था लड़का मां के साथ धीरे’-धीरे चल रहा था अचानक लड़का रोने लगा मां भी हडबड़ाई मैं भी सजग हो उन्हें देखने लगा बच्चा क्यों रो रहा था यह किसी के समझ में न आ रहा था तभी एक तरफ से एक अन्य लड़का आ रहा था जो कि अपने पिता के साथ था लड़के के हाथ में थी जंजीर जिसमें बंधा था एक छोटा सा कुत्ता पहले वाले बच्चे न हाथ बढा उ धर किया इशारा मां के हाथ को लगा खीचने उधर ही मां बच्चे के रूख को पहचान गयी लेकिन वह एक सिहर गयी क्या यह उसकी चाहत है कि कुत्ता पाये मां ने बच्चे को लाख चाहा उधर से घुमाकर दूसरी तरफ लाने की बच्चे की जिद ने और जोर पकड़ ली वह जोरों से चिल्लाने के सुर में रोने लगा मुझे भी लगा बच्चा चाहता है वह कुत्ता वह आदमी अब निकट आ गया उसने भी इस बच्चे को रोते देख लिया था अपने बच्चे के हाथ से कुत्ते की डोर को लेकर पकड़ा दिया उस छोटे से बच्चे के हाथ में बच्चा चुप हो गया और उसके चेहरे पर आयी सुकून की हंसी वह हंसने लगा थोड़ी देर बाद उस आदमी ने कहा बेटे अब इसे अपने भाई को दे दो उसने किसी नानुकुर के बिना पकड़ा दी डोर कुत्ते की बाप बेटे जब आगे चले गये तो बच्चा एक उदास सा रूख लिए उन दोनों को निहार रहा था।